आंग्ल मैसूर युद्ध – History Notes in Hindi

आंग्ल मैसूर युद्ध – इस विषय से संबंधित हम उन बिंदुओं पर चर्चा करेंगे जो आपके  UPSC, State PSC, SSC एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षा परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। 

आंग्ल मैसूर युद्ध (1767-1799)

बक्सर के युद्ध मे मिली सफलता के पश्चात अंग्रेजों की नजर अब मसाला उत्पादक क्षेत्र मालाबार पर थी। परंतु, वह क्षेत्र मैसूर के शासक हैदर अली ने उसे अपने कब्जे मे कर लिया था। हैदर अली के नेतृत्व मे मैसूर का उदय तथा उसकी प्रसारवादी नीति को मराठे, कर्नाटक के नवाब एवं हैदराबाद के निजाम ने अपने लिए खतरे के रूप मे देखा। वे समय-समय पर हैदर अली के विरुद्ध अंग्रेजी कंपनी ने मिले। सभी की महत्वकांक्षाओं ने आंग्ल मैसूर युद्ध को जन्म दिया। 

आंग्ल मैसूर युद्ध अर्थात अंग्रेज एवं मैसूर के बीच चार युद्ध हुए। इस युद्ध मे अंग्रेजी कंपनी का प्रतिनिधित्व मुख्य रूप से मद्रास प्रेसिडेंसी ने किया तथा मैसूर का नेतृत्व हैदर अली एवं टीपू सुल्तान ने किया। अंत मे अंग्रेजी कंपनी को सफलता प्राप्त हुई। 

आंग्ल मैसूर युद्ध
आंग्ल मैसूर युद्ध

प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध (1767-1769)

युद्ध का कारण

  • मालाबार (मसाला उत्पादक क्षेत्र) पर ब्रिटिश कंपनी की नजर थी परंतु हैदर अली ने उसपर कब्जा कर लिया था।
  • हैदर अली की मित्रता फ्रांसीसी कंपनी से थी जिसकी सहायता से वह मैसूर की सैन्य शक्ति को मजबूत कर रहा था। 
  • अंग्रेजी कंपनी ने वेल्लोर मे एक चौकी की किलेबंदी कर ली थी। 
  • ब्रिटिश का मुख्यालय मद्रास था जो मैसूर की निकट था। 
  • उपरोक्त कारणों को अंग्रेजों ने खतरे के रूप मे देखा। 
  • हैदर अली भी अंग्रेजों से चिढ़ा हुआ था। 

घटनाक्रम

  •  अंग्रेजों ने मराठे और निजाम को हैदर अली के विरुद्ध भड़का दिया था एवं उनके साथ त्रिपक्षीय संधि की। 
  • हैदर अली ने मराठे और निजाम को लालच देकर उन्हे फिर अपने पक्ष मे कर लिया। 
  • अंग्रेजी सेना पर हैदर अली ने आक्रमण किया और मद्रास के द्वार तक पहुँच गया। 
  • दबाव मे आकर ब्रिटिश कंपनी ने संधि करने के लिए विवश हो गई तथा 1769 मे मद्रास की संधि हुई। 
  • इस संधि मे दोनों शक्तियों ने तीसरे दल के द्वारा आक्रमण होने की स्थिति मे एक दूसरे को मदद करने के लिए सहमत हुई। 
  • इस युद्ध का परिणाम हैदर अली के लिए सम्मानजनक रहा। 

द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध (1780-1784)

युद्ध के कारण

  • ब्रिटिश कंपनी ने मद्रास की संधि का उल्लंघन किया। जब 1771 में मराठों ने हैदर अली के क्षेत्र पर हमला किया तो अंग्रेजी कंपनी उसकी सहायता करने नहीं आई। 
  • 1779 मे अंग्रेजी कंपनी फ्रांसीसी क्षेत्र मोहे पर हमला कर दिया, जो हैदर अली के लिए सीधी चुनौती थी। हैदर अली से इसे आपने क्षेत्र का अतिक्रमण माना। 

घटनाक्रम

  • इस युद्ध मे फ्रांसीसी हैदर अली की सहायता कर रहे थे। 
  • 1782 में कैंसर से हैदर अली की मृत्यु हो गई। 
  • हैदर अली ने इस युद्ध के नेतृत्व 1780-1782 तक किया। 
  • 1782-1784 तक हैदर अली का पुत्र टीपू सुल्तान ने इस युद्ध का नेतृत्व किया। 
  • संसाधन की कमी के कारण अंग्रेजों ने शांति की इच्छा जाहीर की तथा टीपू सुल्तान को भी आपने प्रशासन को मजबूत करने के लिए समय चाहिए था। 
  • अतः यह युद्ध 1784 मे मैंगलोर की संधि के साथ समाप्त हुआ। 
  • इस युद्ध मे टीपू सुल्तान का बर्चस्व रहा। 

तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध (1790-1792)

युद्ध का कारण 

  • ब्रिटिश त्रावणकोर क्षेत्र के अपना संरक्षित राज्य मानती थी, जिसे टीपू सुल्तान आपने संप्रभु अधिकारों का उल्लंघन माना। 
  • 1779 मे टीपू सुल्तान ने त्रावणकोर के राज्य पर हमला कर दिया।
  • अंग्रेज पहले से ही युद्ध के लिए तैयार थे तथा त्रावणकोर के शासक के पक्ष मे लड़ने का निर्णय ले चुके थे। 

घटनाक्रम

  • लॉर्ड कॉर्नवालिस ने अपनी कूटनीति से मराठों और निजामों को आपने पक्ष मे कर लिया था। 
  • इस युद्ध मे टीपू सुल्तान बुरी तरह पराजित हुआ और उसने शांति की पहल की। 
  • टीपू सुल्तान को श्रीरंगपट्टम की अपमानजनक संधि करनी पड़ी। 
  • इस संधि के माध्यम से टीपू को आपने क्षेत्र का आधा भू भाग अंग्रेजी कंपनी को देना पड़ा।
  • कंपनी ने बड़ामहल, डिंडीगुल और मालबार का क्षेत्र प्राप्त किया। 
  • युद्ध के हर्जाने के रूप मे टीपू को 3 करोड़ 30 लाख भुगतान करना था, लेकिन वह तुरंत करने मे अक्षम था इसलिए अंग्रेजों ने उसके दो पुत्रों को बंदी के रूप मे रखा। 

चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध (1799)

  • फ्रांसीसी कंपनी के साथ बढ़ते हुए निकटता को अंग्रेजों ने अपने लिए खतरे को महसूस किया। 
  • अंग्रेजों ने टीपू सुल्तान से समझौते करने का निर्णय लिया तथा उसे सहायक संधि करने का प्रस्ताव दिया। 
  • टीपू ने अंग्रेजों से सभी प्रस्तावों को ठुकरा दिया। 
  • फरवरी 1799 मे युद्ध शुरू और उसी वर्ष मई मे युद्ध समाप्त हो गया। 
  • टीपू सुल्तान श्रीरंगपट्टम किले मे लड़ता हुआ मारा गया। 
  • इस युद्ध मे ब्रिटिश कंपनी की निर्णायक रूप से सफलता मिल गई। 
  • ब्रिटिश मे मैसूर राज्य से थोड़ा सा भाग ओड्यार वंश के राजकुमार को देकर उसे गद्दी पर स्थापित कर दिया। 
  • शेष भाग को ब्रिटिश क्षेत्र मद्रास मे मिलकर मद्रास 1801 में प्रेसिडेंसी की स्थापना की। 

हैदर अली

  • हैदर अली ने खुद को मैसूर के सर्वोच्च शासक के रूप मे स्थापित किया। 
  • हैदर अली ने पहले और दूसरे आंग्ल मैसूर युद्ध के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ सक्रिय रूप से लड़ाई लड़ी। 
  • हैदर अली ने अपनी सेना को यूरोपीय मॉडेल पर तैयार किया था। 
  • उसने कृषि उत्पादन की वृद्धि के लिए काम किया था। 
  • उसने उद्दोग भी स्थापित करने की कोशिस की थी।
  • 1782 मे द्वितीय आंग्ल मैसरू युद्ध के दौरान कैंसर से उसकी मृत्यु हो गई। 

टीपू सुल्तान

  • टीपू सुल्तान मैसूर का शासक और हैदर अली का पुत्र था। 
  • 1782 मे आपने पिता की मृत्यु के पश्चात उसने द्वितीय आंग्ल मैसूर युद्ध से मैसूर का नेतृत्व किया। 
  • उसने भू राजस्व व्यवस्था मे सुधार किया। उसने जमींदारों को हटाकर प्रत्यक्ष रूप से किसानों से कर वसूली की।
  • गन्ने की खेती बढ़ाने के प्रयत्न किया। 
  • पशुओं के नस्ल को सुधारने के लिए कदम उठाए। 
  • रेशम के उत्पादन पर बल दिया। 
  • भारतीय शासकों मे टीपू सुल्तान एक मात्र ऐसा शासक था जिसने यूरोपीय कंपनीओं के मॉडेल पर एक व्यापारिक कंपनी को स्थापित करने का प्रयास किया परंतु इसमे उसे सफलता नहीं मिली। 
  • मिलिट्री तकनीकी मे टीपू सुल्तान ने रॉकेट जैसे हथियार विकसित कर लिए थे तथा इस तकनीक मे ब्रिटिश से भी आगे निकाल गया था। 
  • ऐसा माना जाता है की हैदर अली का सामना ब्रिटिश कंपनी से थी परंतु टीपू सुल्तान का सामना ब्रिटिश साम्राज्य से थी क्युकी टीपू सुल्तान ने ब्रिटिशों को वैश्विक स्तर पर घेरना चाहा। 
  • उसने आपने राजदूत अलग अलग देशों मे भेज रखा था जैसे- तुर्की, अफगानिस्तान, फ्रांसीसीयों के उपनिवेश मॉरिसस आदि। 
  • टीपू सुल्तान फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित होकर अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टनम मे स्वतंत्रा का वृक्ष लगाया था। 
  • चतुर्थ आंग्ल मैसूर के युद्ध मे जब अंग्रेजों ने टीपू को सहायक संधि का प्रस्ताव दिया तो उसने मना करते हुए कहा की “मै पेंशन प्राप्त करने वाला राजाओं और नवाबों की सूची मे बैठने के वजाय लड़कर मारना पसंद करूंगा। 
  •  1779 मे चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध मे अपनी राजधानी श्रीरंगपट्टनम की रक्षा करते हुए टीपू सुल्तान युद्ध मे मारा गया।

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