आंग्ल मराठा युद्ध – History Notes in Hindi

आंग्ल मराठा युद्ध से संबंधित वे बिन्दु जो आपके  UPSC, State PSC, SSC एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षा परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। (History Notes in Hindi)

अंग्रेजों एवं मराठों के बीच कुल 3 युद्ध लड़े गए। 

  • प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध (1775 – 1782)
  • द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध (1803 – 1805)
  • तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध (1817 – 1818)
आंग्ल मराठा युद्ध
आंग्ल मराठा युद्ध

प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध

पृष्टभूमि

  • यह युद्ध  सूरत की संधि से साथ शुरू हुआ तथा सालवाई की संधि के साथ समाप्त हुआ। 
  • बंगाल और मद्रास सरकारों ने क्रमशः अवध और कर्नाटक पर खुद को राजनीतिक शक्ति के रूप मे स्थापित कर लिया था परंतु बॉम्बे सरकार को ऐसी कोई राजनीतिक शक्ति उपलब्ध नहीं हुई थी इसलिए खुद को छोटा समझने लगी थी। 
  • बॉम्बे सरकार मराठा क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहती थी विशेष तौर पर सैलसेट और बेसिन के बंदरगाहों पर। इसके अलावा पूना दरबार मे राजनीतिक प्रभाव बनाना चाहती थी। 
  • चौथे पेशवा माधवराव की मृत्यु के पश्चात मराठा राज्य मे उतराधिकार के लिए संघर्ष शुरू हो गया। 
  • नारायण राव और रघुनाथ राव के बीच पूना मे सत्ता के लिए संघर्ष छिड़ गया।
  • गद्दी न मीलने पर रघुनाथ राव ब्रिटिश कंपनी से सहायता मांगी जिससे बॉम्बे सरकार को मराठा मामलों मे हस्तक्षेप करने का अवसर मिल गया। 

प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध का घटनाक्रम

  • 1775 मे रघुनाथ राव ने बॉम्बे सरकार के साथ सूरत की संधि की। इसमे यह निर्णय हुआ की कंपनी 2500 सैनिक भेजकर रघुनाथ राव को पेशवा बनने मे सहायता करेगी तथा बदले मे रघुनाथ राव सालसेट और बेसिन का क्षेत्र कंपनी के सौंप देगा। 
  • जब सूरत की संधि के बारे मे वारेन हेसिटिंग्स (कलकता परिषद) को पता चला तो उसने इस संधि को अन्नायपूर्ण बताया तथा उसने मध्यस्था करके बंबई अधिकारी एवं मराठों के बीच पुरंदर की संधि पर हस्ताक्षर करवाया। 
  • पुरंदर की संधि लागू नहीं हुआ तथा पुनः युद्ध शुरू हो गया। 
  • तेलगाँव के युद्ध मे मराठों ने अंग्रेजी सेना को पराजित कर दिया तथा उन्हे बड़गाँव की संधि करने के लिए विवश कर दिया। 
  • बड़गाँव की संधि के अनुसार बाम्बे सरकार 1773 के बाद प्राप्त किए सभी क्षेत्रों को वापस करेगी।
  • वारेन हेस्टिंग इस अपमानजनक संधि को मानने से इनकार कर दिया तथा युद्ध को जारी रखने का फैसला लिया। 
  • अंत मे मराठे ने 1782 मे कंपनी के साथ सालबाई की संधि करने को मजबूर हो गए। 
  • सालबाई की संधि के अनुसार
    • माधव नारायण राव को पेशवा स्वीकार किया गया।
    • कंपनी को सालसेट और एलीफेंटा द्वीप प्राप्त हुआ। 
  • अगले 20 वर्षों की शांति का काल आरंभ हुआ जिसका फायदा अंग्रेजी कंपनी को मिला। 

द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध

पृष्टभूमि

  • यह युद्ध बेसिन की संधि के साथ शुरू हुआ था तथा राजपुर घाट की संधि से समाप्त हुआ। 
  • नाना फडणवीस की मृत्यु के बाद पूना दरबार एक बार फिर उत्तराधिकार को संघर्ष शुरू हो गया। 
  • पेशवा बाजीराव द्वितीय, दौलतराव सिंधिया और यशवंत राव होल्कर के बीच आपस मे संघर्ष और प्रतिस्पर्धा चल रही थी। 
  • यशवंत राव होल्कर ने पेशवा बाजीराव द्वितीय को पराजित कर पूना पर कब्जा कर लिया। 
  • पेशवा ने भागकर बेसिन मे शरण ली और उसने लॉर्ड वेलेसली से सहायता मांगी जिससे ब्रिटिश को मराठा मामलों में हस्तक्षेप करने का एक आदर्श अवसर प्राप्त हुआ। 
  • 30 दिसंबर 1802 को पेशवा ने लॉर्ड वेलेसली के साथ बेसिन की संधि पर हस्ताक्षर किया। यह एक सहायक संधि थी। 
  • इस संधि ने अन्य मराठा प्रधानो की राष्ट्रभक्ति की भावना को प्रभावित किया। 

द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध का घटनाक्रम

  • दौलतराव सिंधिया और रघुजी भोंसले ने अंग्रेजों के विरुद्ध गठबंधन बनाया। उन्होंने यशवंत राव होल्कर को भी शामिल करने का प्रयास किया परंतु उसने पृथक मोर्चा बनाया। गायकवाड़ निष्पक्ष रहा। 
  • दूसरी तरफ वेलेसली ने मराठों के विरुद्ध दो कमान बनाए। उत्तरी कमान जिसका नेतृत्व लॉर्ड लेक कर रहे थे तथा दक्षिणी कमान जिसका नेतृत्व आर्थर वेलेसली ने की। 
  • दक्षिण मे आर्थर वेलेसली ने सिंधिया और भोंसले की संयुक्त सेना को पराजित किया। 
  • उत्तर मे लॉर्ड लेक ने सिंधिया और भोंसले की संयुक्त सेना को हराया तथा अलीगढ़, दिल्ली और आगरा पर कब्जा कर लिया। 
  • एक बार फिर दिल्ली का नियंत्रण मराठों के हाथ से निकलकर ब्रिटिश के नियंत्रण मे चल गया और पुनः नेत्रहीन मुगल शासक शाह आलम द्वितीय कंपनी का पेंशनभोगी बना। 
  • 17 दिसंबर 1803 को भोंसले और कंपनी के बीच देवगांव की संधि हुई। 
  • 30 दिसंबर 1803 को सिंधिया और कंपनी के बीच सुर्जी-अर्जनगाँव की संधि हुई। 
  • यशवंत राव होल्कर ने जाट शासक के साथ मिलकर इस युद्ध को जारी रखा। 
  • कंपनी ने अनुभव किया की निरंतर युद्ध खर्चीले साबित हो रहे है। अंत मे कोर्ट ऑफ डायरेक्टर ने वेलेसली को लंदन बुला लिया। 
  • इसके बाद कंपनी का एक वरिष्ट सदस्य जार्ज बार्लो ने 24 दिसंबर 1805 को यशवंत राव होल्कर के साथ राजपुर घाट की संधि की। 
  • राजपुर घाट की संधि के साथ द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध समाप्त हुआ। इसका परिणाम यह था की इसने मराठा संघ को तोड़ दिया और कंपनी भारत मे सर्वोच्च शक्ति के रूप मे उभर चुकी थी। 

तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध

  • यह युद्ध ग्वालियर की संधि के साथ शुरू हुई तथा मंदसौर की संधि के साथ समाप्त हो गई। 
  • इस युद्ध मराठा शक्ति अंतिम रूप से समाप्त हो गई। 
  • लॉर्ड हेस्टिंग के अन्तर्गत ब्रिटिश सेना ने पेशवा, भोंसले और होल्कर की संयुक्त शक्ति को हराया। 
  • 1818 मे पेशवा के संधि कर मराठा परिसंघ को भंग कर दिया गया तथा बाजीराव द्वितीय को आठ लाख के वार्षिक पेंशन पर बिठूर भेज दिया गया। 

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