Hadappa sabhyata | History Notes in Hindi

हड़प्पा सभ्यता (hadappa sabhyata) या सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley civilization) | इतिहास के नोट्स (History Notes in Hindi) – यह नोट्स यूपीएससी (UPSC) व स्टेट पीएससी (State PSC) के प्रारंभिक (Prelims) एवं मुख्य (Mains) दोनों ही परीक्षाओं की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

हड़प्पा सभ्यता (Hadappa Sabhyata)

  • हड़प्पा सभ्यता का दौर 2600 ई.पू.. 1900 ई.पू. तक रहा। 
  • हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता भी कहते है।
  • इसकी सबसे पहले खुदायी हड़‌प्पा में हुई थी, इसलिए इसका नाम हड़‌प्पा सभ्यता रख दिया गया। 
  • यह सिन्धु नदी एवं इसकी साहायक नदियों के आस- पास बसा था, इसलिए इसे सिंधु घाटी सभ्यता कहा जाता है।
  • यह मेसोपोटामिया और मिस्त्र की सभ्यताओं की समकालीन थी। इनमें हड़‌प्पा सभ्यता ही सबसे बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी।
  • घग्घर – हाकरा प्रदेश में हुई खुदाई में बड़ी बस्तियों के मिलने से पता चला की यह सिन्धु क्षेत्र से बाहर दूर तक फैली हुई थी।
  • इस सभ्यता के बारे में हमें पुरातात्विक स्रोतो से पता चलता है। हालाकि, इस सभ्यता के पास लिपि थी परन्तु इसे पढ़ा नहीं जा सका है।
  • लोग काँसे (Bronze) का प्रयोग करने लगे थे, इसलिए इसे कांस्य युग भी कहा जाता है।

हड़प्पा सभ्यता की जड़

  • ब्रिटिश विद्वानों ने भारतीयों की उपलब्धियों को कम करके दार्शाने का प्रयास किया, क्योकि के यह दावा कर रहे थे कि भारतीयों को ब्रिटिशों ने सभ्य बनाया ।
  • ब्रिटिशो ने यह साबित करने का प्रयास किया कि हड़प्पा सभ्यता की उत्पति मेसोपोटामिया से हुई है। हालांकि, हड़प्पा सभ्यता मोसोपोटामिया की सभ्यता से अधिक उन्नत भी इसलिए उनके दावे विकल हो गये।
  • बाद के काल में हमे शौंधों से पता चला की हड़प्पा सभ्यता की उत्पति देशी उत्पति है।
  • हड़‌प्पा सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी। इसके नगरीकरण तक के पहुंचने के सिद्धांत को क्रमिक विकास का सिद्धांत कहा जाता है।

हड़प्पा सभ्यता के क्रमिक विकास का सिद्धांत

हड़प्पा सभ्यता के क्रमिक विकास को 3 चरणो में देखा जाता है।

  1. नवपाषाण काल (5500 ई.पू. – 3200 ई.पू.)
  2. आरंभिक हड़प्पा काल (3200 ई.पू. – 2600 ई.पू.)
  3. नगरीय हड़प्पा सभ्यता (2600 ई.पू. 2600 ई.पू.- 1300 ई.पू.)

नवपाषाण काल

  • उत्तर पश्चिम नदी घाटीयों में बाढ़ के द्वारा लायी गई जलोढ़ मिट्टी काफी उपजाऊ थी, जिस कारण लोग अधिशेष उपादन करने लगे। फलस्वरूप उद्योग एवं एवं शिल्पो का विकास होने लगा।
  • धीरे- धीरे उत्तर पश्चिम के विभिन्न क्षेत्रों में ग्रामिण संस्कृतियाँ उभरने लगी।

आरंभिक हड़‌प्पा काल

  • यह हड़प्पा सभ्यता के नगरीय चरण के पहले को संस्कृतियाँ थी, अर्थात यह ग्रामीण संस्कृतियाँ थी।
  • लोग खेती करने के लिए हल का प्रयोग करने लगे थे।
  • कपास एवं अनेक फसलो की खेती होने लगा। 
  • अन्नागार का विकास हुआ
  • तांबे का प्रयोग
  • चक्का का विकास
  • नाव का प्रचलन
  • व्यापार को प्रोत्साहन मिला
  • लिपि का विकास हुआ
  • शासक वर्ग आये जिन्होने अधिशेष उत्पादन को केन्द्रित किया।

आरंभिक हड़‌प्पा संस्कृतियां (ग्रामीण)

  • इरानी – ब्लूची संस्कृति
  • आमरी कोट दीजी संस्कृति
  • सोथी – सिसवाल संस्कृति
  • कालीबंगा संस्कृति

नोट – कोई एक ग्रामीण संस्कृति ने अपने आप को विस्तृत करके सभ्यता का रूप ले लिया। 

नगरीय हड़प्पा सभ्यता (Urban Hadappa sabhyata)

  • हड़‌प्पा सभ्यता से तात्पर्य इसके यही अवस्था से होता है, जो नगरीय अवस्था तक पहुँच गई।
  • यह पूर्ण रूप से विकसित सभ्यताओं को दर्शाता है। 
  • इसका नगर निर्माण योजना काफी उन्नत थी। 
  • इस चरण के कुछ प्रमुख स्थल – हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, सुतकागेंडोर, लोथल, धोलावीरा, बानवाली और राखीगढ़ी
  • यह आज के राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, गुजरात एवं पाकिस्तान मे फैली हुई थी। 
  • यह उत्तर मे मांडा (जम्मू), दक्षिण मे दैमाबाद, पूर्व मे आलमगीरपुर (उत्तर प्रदेश) व पश्चिम मे सुत्कागेंडोर (बलूचिस्तान) तक फैली हुई थी। 
  • इस सभ्यता की आकृति त्रिकोणीय थी।  

हड़प्पा सभ्यता की तकनीकी विशेषताएँ

  • धातु में सबसे अधिक तांबे का उपयोग करते थे।
  • तांबे और टिन के मिश्रण करके कांस्य (Bronze) का निर्माण करते थे।
  • सोने एवं चांदी का भी प्रयोग उरते थे।
  • वे लोग लोहे से परिचित नहीं थे।

जीविकोपार्जन ( Livelihood)

  • अधिकांश लोग पशुपालन और कृषि से जुड़े हुये थे।
  • मुख्य फसल – गेंहूँ, जौ, चना, मटर, खरबूज, तरबूज, तिल, खजुर, बाजरा, अंगूर, लहसुन, सरसों, चावल
  • लोग कपास की भी खेती करते थे एवं इसका निर्यात भी करते थे।
  • पशुपालन में लोग बैल, भैंस, बकरी, भेड़, सुअर, गाय, उंट, बिल्ली एवं कुत्तों को पाला करते थे।
  • वे लोग घोड़ा का प्रयोग नहीं करते थे।

हड़प्पा सभ्यता (Hadappa sabhyata) मे व्यापार

  • हड़प्पा सभ्यता का व्यापरिक संबंध इसके समकालीन सभ्यता मेसोपोटामिया और मिस्त्र के साथ थी।
  • निर्यात करने वाली वस्तु – कपड़े, उन, इत्र, चमड़े का सामान, चांदि चांदी आदि।
  • आयात की जाने वाली वस्तु – टिन, तांबा, सोना, चांदी, बेड, सेलखड़ी, बिटुमिन, हाथी का दांत, फिरोजा ( डीमती पत्थर)
  • व्यापार सिर्फ विदेशों से नहीं बल्कि भारतीय उपमहादिप के अन्य क्षेत्रों से भी हुआ करता था।
  • हड़प्पा सभ्यता मे व्यापार वस्तु विनिमय द्वारा संचालित होती थी।
  • व्यापारियों के पास एक मुहर होती थी।

कला एवं शिल्प

  • मनके बनाना। अधिकांश मनके सेलखड़ी (steatite) से निर्मित होते थे।
  • मृण्मूर्तिया बनाना
  • मिट्टी की पकाई मूर्ति 
  • धातुओ की ढलाई करके मूर्ति निर्माण
  • मिट्टी की पकाई बच्चों के खिलौने बनाना
  • अर्द्ध कीमती पत्थरों के प्रयोग से जेवरात एवं गले मे पहनने का आभूषण बनाना। 
  • शंख की चूड़िया बनाना
  • हाथी के दांत पर कलाकारी
  • प्रस्तर कला
  • पकी हुई ईंट बनाना
  • सेलखड़ी से निर्मित मुहरे बनाना। मुहरों का आकार आयताकार या वर्गाकार होती थी जिसपर पशु की आकृति एवं लिपि उत्कीर्ण करते थे। 

हड़प्पा सभ्यता मे धर्म एवं संस्कृति

  • धर्म का स्वरूप बहुदेववाद था अर्थात् एक से अधिक देवताओ की पूजा की जाती थी। 
  • पाशुपत शिव, मातृ‌देवी, पृथ्वी, पशु, नाग, अगिन, जल, लिंग और योनी (मजनन अंग), पीपल का पेड़, कुबड़ा बैल, एक सींग वाले जानवर आदि की पुजा की जाती थी।
  • मूर्ति पुजा का प्रचलन था, परन्तु मंदिर नहीं थे। मूर्ति पुजा का संबंध भक्ति-भाव से जोड़ा जाता है।
  • धर्म के क्षेत्र में स्त्री तत्व की प्रधानता थी। 
  • बच्चे के गले से ताबीज़ भी प्राप्त हुई, जो जीववाद की ओर संकेत करती है।
  • मृतकों के शव को उत्तर दक्षिण की दिशा की और रखा जाता था और उसके साथ खाना, मिट्टी के  बर्तन, गहने व औजार रखे जाते थे।

सामाजिक स्थिति

  • हड़प्पा सभ्यता मे समतामूलक समाज प्रतीत होती है। 
  • इसमे शासक वर्ग, अमीर व्यापारी वर्ग, माध्यम वर्ग एवं गरीब श्रमिक वर्ग के लोग थे। 
  • मोहनजोदड़ो से प्राप्त दाढ़ी वाले साधु की मूर्ति से पुरोहित वर्ग का भी संकेत मिलता है। 
  • बड़ी संख्या मे टेराकोटा की नारी मूर्तियों और मातृदेवी की ली लोकप्रियता के आधार पर हड़प्पा का समाज मातृसत्तात्मक प्रतीत होती है। 
  • लोग सूती एवं ऊनी वस्त्र पहनते थे। 

हड़प्पा के लोगों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

  • हड़प्पा के लोग लिपि का प्रयोग करते थे, जिसे चित्रतात्मक लिपि कहते है। 
  • उन्हे अंकमाला का भी  ज्ञान था। 
  • वे गणना के लिए 16 गुणकों (उदाहरण – 8, 16, 24) का प्रयोग करते थे। 
  • गणना के लिए दशमलव एवं द्विभाजन प्रणाली का प्रयोग करते थे। 
  • मापने के लिए फिट एवं क्यूबिक का प्रयोग करते थे। 
  • उन्हे ग्रह एवं नक्षत्र का भी ज्ञान था। 
  • वे लोग तांबा एवं टीन को गलाकर कांस्य बनाने की पद्धति को भी जानते थे। 

नगर निर्माण योजना

  • हड़प्पाई नगर की योजना ग्रिड प्रणाली पर आधारित थी। 
  • मुख्य सड़क की चौड़ाई लगभग 10 मीटर होती थी और सड़के एक दूसरे को समकोण पर कटती थी।
  • सड़क के किनारे मकान निर्मित किये जाते थे। 
  • मकान पक्की ईंटों के होते थे तथा एक मंजिले एवं बहुमंजिले भी होते थे। 
  • मकान के आँगन मे कुआँ होता था, जिसमे नदियों का पानी रिसाव से आता था।
  • जल निकास प्रणाली उत्तम थी, जो मकानों से पाइप के द्वारा होती थी, पाइप गली की नाली मे मिलती थी और गली की नाली मुख्य सड़क की नाली मे मिलती थी।
  • नाली की सफाई के लिए नरमोखे (manhole) होते थे। 
  • समानतः हड़प्पाई नगर दो भागों मे विभाजित होते थे – (1) दुर्ग/उठा, हुआ भाग एवं (2) निचला भाग। 

दुर्ग या उठा हुआ भाग

  • यह हिस्सा एक छोटे क्षेत्र को घेरता था तथा या अक्सर पश्चिम की ओर होता था। 
  • इस क्षेत्र मे शासक वर्ग रहते थे।
  • यहाँ सार्वजनिक इमारतें, भंडार घर एवं कार्यशालाएं हुआ करते थे। 

निचला भाग

  • इस क्षेत्र मे आम जनता रहती थी।
  • अपनी आजीविका (काम-धंधे) को चलाती थी। 

हड़प्पा सभ्यता के पतन का कारण

हड़प्पा सभ्यता के पतन का स्पष्ट कारण का पता नहीं चल पाया है, हालांकि विद्वान निम्नलिखित संकल्पनायें देते है – 

  • आर्यों का आक्रमण
  • नदी के मार्ग मे परिवर्तन
  • बाढ़
  • सूखा
  • भूकंप
  • महामारी
  • परिस्थिक अशांति

हड़प्पा सभ्यता (Hadapa sabhyata) के उत्खनन स्थल

हड़प्पा

  • यह वर्तमान पाकिस्तान (पंजाब) मे रावी नदी के किनारे स्थित था।
  • इसके खोजकर्ता दयाराम साहनी (1921) है।

हड़प्पा से प्राप्त वस्तुएं

  • अन्नागार
  • श्रमिक आवास
  • मातृदेवी की मूर्ति
  • लकड़ी के ओखली
  • कुम्हार की चाक
  • लाल पत्थर की नाचती हुई लड़की
  • एक कमरे का बैरक
  • मृतकों को दफनाने के साक्ष्य
  • स्वस्तिक चिन्ह

मोहनजोदड़ो

  • यह हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा शहर था। 
  • यह वर्तमान पाकिस्तान सिंधु नदी के किनारे स्थित था।
  • इसके खोजकर्ता आर डी बनर्जी थे। 

मोहनजोदड़ो से प्राप्त वस्तुएं

  • मृतकों का बहुत बड़ा टीला
  • महान स्नानागार
  • अन्नागार
  • सूती वस्त्र 
  • सभागार
  • पशुपति शिव
  • दाढ़ी वाले साधु की मूर्ति
  • पुरोहित आवास
  • घरों मे कुंआँ 
  • सबसे चौड़ी सड़क
  • काँसे की नर्तकी
  • तांबे का ढेर
  • कांसे का भैस

सुत्कागेंडोर

  • सुत्कागेंडोर की खोज 1875 में मेजर एडवर्ड मॉकलर ने की थी।
  • यह पाकिस्तान के वर्तमान बलूचिस्तान प्रांत मे स्थित था। 
  • हड़प्पा एवं बेबीलोन के मध्य व्यापार

सुत्कागेंडोर से प्राप्त वस्तुएं

  • तांबे की कुल्हाड़ी
  • मिट्टी की चूड़ियाँ
  • मिट्टी के बर्तन
  • पत्थर के बर्तन

लोथल

  • यह वर्तमान गुजरात मे स्थित था।
  • इसकी खोज 1954 मे की गई।
  • यह सिंधु सभ्यता का बंदरगाह स्थल, जो पहला मानव निर्मित बंदरगाह था। 

लोथल से प्राप्त वस्तुएं

  • मोती बनाने का कारखाना
  • चावल की भूसी से अवशेष
  • चित्रित की हुई मृदभांड 
  • फारस की मुहर

धौलावीरा

  • धोलावीरा को सिंधु सभ्यता का सबसे सुंदर नगर भी माना जाता है।
  • यह हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल भी था। 
  • यह वर्तमान गुजरात मे स्थित था। 
  • यह हड़प्पा संस्कृति के तीनों चरणों को दर्शाता है।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 5 / 5. Vote count: 4

No votes so far! Be the first to rate this post.

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

Search

Join Our Social Media