प्रागैतिहासिक काल एवं आद्य ऐतिहासिक काल | UPSC Notes in Hindi

प्राचीन भारत का इतिहास – इस खंड मे आप प्रागैतिहासिक काल एवं आद्य ऐतिहासिक काल का अध्ययन करेंगे। यह नोट्स UPSC परीक्षा के पाठ्यक्रम के आधार पर बनाया गया है। इस नोट्स मे न सिर्फ तथ्य एवं जानकारी को शामिल किया गया है बल्कि उनका विश्लेषण भी किया गया है।

प्रागैतिहासिक काल

महत्वपूर्ण शब्दावली

पुरातात्विक साक्ष्य

पुरातात्विक साक्ष्य वह साक्ष्य है जो अतीत के मानवीय गतिविधियों के अवशेषों से प्राप्त होता है। इसमें कलाकृतियां, संरचनाएं, शिलालेख, मानव अवशेष और प्राकृतिक अवशेष शामिल हो सकते हैं। पुरातात्विक साक्ष्य का उपयोग अतीत के लोगों के जीवन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।

साहित्यिक साक्ष्य

साहित्यिक साक्ष्य वह साक्ष्य है जो साहित्यिक कार्यों से प्राप्त होता है। इसमें भाषा, लिपि, कविताएँ, उपन्यास, नाटक, निबंध, पत्र, पुस्तक आदि शामिल हो सकते हैं। साहित्यिक साक्ष्य का उपयोग इतिहास, संस्कृति, समाज और अन्य विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।

प्रागैतिहासिक काल एवं आद्य ऐतिहासिक काल

प्रागैतिहासिक काल या पूर्व ऐतिहासिक काल: प्रागैतिहासिक काल मानव इतिहास का वह काल है जो लेखन के आविष्कार से पहले का है। इस काल को पाषाण युग या परस्तर युग (stone age) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इस काल में पाषाण उपकरणों का उपयोग किया जाता था। इस काल में मानव इतिहास के बारे में जानकारी पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर प्राप्त की जाती है।

आद्य ऐतिहासिक काल: प्रागैतिहासिक काल के बाद का काल आद्य ऐतिहासिक काल कहलाता है। इस काल में लेखन कला का आविष्कार हो चुका था, लेकिन साहित्यिक साक्ष्यों की मात्रा सीमित थी। इस काल के बारे मे भी हमे पुरातात्विक साक्ष्यों से जानकारियाँ प्राप्त होती है।

प्रागैतिहासिक काल एवं आद्य ऐतिहासिक काल​ का विभाजन

प्रागैतिहासिक काल एवं आद्य ऐतिहासिक काल के विभाजन का दो आधार है।

विभाजन का प्रथम आधार

प्रागैतिहासिक काल या पूर्व ऐतिहासिक काल: जिस काल के अध्ययन के लिए पुरातात्विक सामग्री उपलब्ध हो परन्तु साहित्यिक साक्ष्य उपलब्ध नहीं हो, उसे प्रागैतिहासिक काल कहते है। इस आधार पर पूर्व ऐतिहासिक काल को निम्ति निम्नलिखित कालखंडों में बांटा गया है।

  1. पुरा पाषाण काल
  2. मध्य पाषाण काल
  3. नव पाषाण काल
  4. ताम्र पाषाण काल

आद्य ऐतिहासिक काल: जिस काल के अध्ययन के लिए पुरातात्तिक साक्ष्य और साहित्यिक साक्ष्य दोनो प्रकार की सामग्रियाँ उपलब्ध हो, परन्तु साहित्यिक साक्ष्य का उपयोग नही हो सका हो उसे आद्य-ऐतिहासिक काल कहते है। इस आधार पर आद्य-ऐतिहासिक काल को निम्नलिखित कालखंडों में बांटा गया है।

  1. हड़प्पा सभ्यता
  2. वैदिक सभ्यता

हड़प्पा सभ्यता के पास लिपि है, परन्तु, उस लिपि को पढ़ा नहीं जा सका है। वैदिक सभ्यता के पास भाषा है, लेकिन लिपि नहीं है।

विभाजन का दूसरा आधार

प्रागैतिहासिक काल: जिस काल तक कृषि की शुरु‌आत नहीं हुई हो, उसे प्रागैतिहासिक काल है।

इस काल में, उन आदिमानवो का अध्ययन किया किया जाता है, जो पत्थरो के उपकरण का प्रयोग करते थे तथा शिकार एवं खाद्य संग्रह पर निर्भर थे।

इस आधार पर प्रागैतिहासिक काल को निम्नलिखित कालखंडों में बांटा गया है।

  1. पुरापाषाण काल
  2. मध्य पाषाण काल

आद्य-ऐतिहासिक काल: जिस काल में कृषि आरंभ हुआ, उसे आद्य-ऐतिहासिक काल कहते है।

इस काल में उन समुदायों का अध्ययन किया जाता है, जो खाद्य संग्रह से खाद्य उत्पादन की अवस्था में पहुँच चुके थे।

इस आधार पर आद्य-ऐतिहासिक काल को निम्नलिखित कालखंडों में बांटा गया है।

  1. नवपाषाण काल
  2. ताम्रपाषाण काल
  3. हड़प्पा सभ्यता

प्रागैतिहासिक काल एवं आद्य ऐतिहासिक काल के कालखंड

  1. पुरापाषाण काल [लाखों वर्ष पूर्व – 10,000 ई.पू. तक]
  2. मध्य पाषाण काल [10,000 ई.पू. – 6000 ई.पू.]
  3. नवपाषाण काल [6000 ई.पू. के पश्चात्]
  4. ताम्रपाषाण काल (3500 ई.पू. के पश्चात् ]
  5. हड़प्पा सभ्यता [2600 ई.पू. – 1900 ई.पू.]

पुरापाषाण काल [लाखों वर्ष पूर्व - 10,000 ई.पू. तक]

भारतीय उपमहाद्वीप में पुरापाषाण काल से मानव गतिविधियाँ देखने को मिलती है। इस काल में मानव शिकारी एवं खाद्य संग्राहक हुआ करता था। इसी काल मे मानव आग जलाना भी सीख गए थे। 

पुरापाषाण काल मे तकनीक

  • इस काल में मानव पत्थर और हड्डियों के उपकरणों का एक प्रयोग करते थे।
  • क्रोड़ (core) उपकरण (स्फटिक पत्थर से निर्मित) –
    • चॉपर (काटने वाला औजार)
    • हस्तकुठार (कुल्हारी)
    • विदारिणी (Cleaver)
  • पंजाब में सोहन नदी घाटी से चॉपर जैसे उपकरण का साक्ष्य मिला है।
  • दक्षिण में मद्रास के आस-पास कई स्थलो से हस्टकुठार जैसे उपकरण प्राप्त हुए है।
  • शल्क उपकरण (Flake) – पत्थरो के छोटे-छोटे टुकड़ो से निर्मित होते थे तथा यह ये धारदार एवं हल्के होते थे।
    • तक्षिणी
    • खुरचनी (scraper)

रहन सहन या जीविकोपार्जन (Livelihood)

  • पुरापाषाण काल में मानव खाद्य संग्राहक एवं शिकारी हुआ करते थे। 
  • शिकार की तुलना मे खाद्य संग्रह का अधिक महत्व था, क्योकि इसे सुरक्षित रखना अधिक आसान था।

सामाजिक संबंध (Social Relations)

  • पुरापाषाण काल में समतामूलक समाज था। समतामूलक सामाज को “बैंड सोसायटी (Band society)” कहा जाता है।
  • मानव इस समय अधिशेष उत्पादन नहीं कर पाते थे, क्योंकि शिकार एवं खाद्य संग्रह से जो प्राप्त करते थे वह खपत हो जाता था।
  • सामान्यतः पुरुष शिकार करते थे एवं महिलाएँ मुख्यतः खाद्य संग्रहण कार्य से जड़े हुए थे।
  • शिकार की तुलना में खाद्य संग्रह का महत्व अधिक था।
  • मानवशास्त्रियों का मानना है कि महिलाओं की स्थिति समाज में बेहतर रही होगी क्योकि महिलायें खाद्य संग्रह से जुड़ी हुई थी।

मध्य पाषाण काल [10,000 ई.पू. - 6000 ई.पू.]

इस काल को पुरापाषाण काल एवं नवपाषाण काल के बीच का संक्रमण काल भी कहा जाता है। 

मध्यपाषाण काल मे तकनीकी विकास

  • मध्यपाषाण काल तक “माइकोलिथ” जैसे उपकरणों का विकास हुआ।
  • ये 1 सेमी. से 5 सेमी. के बीच के आकार के उपकरण होते थे, जिसका प्रयोग लकड़ी अथवा हड्डी से जोड़कर किया जाता था।
  • इस काल में तीर कमान का विकास हुआ।

जीवकोपार्जन या रहन-सहन में परिवर्तन

  • मध्यपाषाण काल में भी मानव शिकारी एवं खाद्य संग्राहक बने रहे।
  • तकनीकी विकास के चलते अब उनके लिए शिकार एवं खाद्य संग्रह करना आसान हो गया। जैसे- तीर कमान का प्रयोग करके बड़े पशुओं के साथ छोटे पशु एवं पक्षियों का शिकार करने लगे।
  • इसी काल में मछली पकड़‌ने की कला विकसित हुई।
  • पहली बार खाना पकाने को पद्धति शुरू हुई।
  • पशुपालन भी शुरू हो गई, जिसका आरंभिक साक्ष्य,मध्यप्रदेश के आदमगढ़ एवं राजस्थान के बागौर से मिलता है।
  • खेती की शुरुआत नहीं हुई थी, परंतु मानव जंगली अनाजों का प्रयोग करने लगे थे।

मध्यपाषाण काल मे सामाजिक परिवर्तन

  • मध्यपाषाण काल के सामाज को भी “बैन्ड सोसायटी” कहा जाता है, अर्थात समतामूलक समाज। 
  • महिला एवं पुरुष के मध्य संबंध में कोई खास, परिवर्तन देखने को नहीं मिला। अर्थात इस काल में भी महिलाओं की स्थिति बेहतर थी।
  • इस काल में परिवार की परिकल्पना का विकास हुआ। बूढ़े व्यक्ति बच्चो की देखभाल के लिए घर पर रहने लगे।
  • इस काल में शावाधान (Burial) का विकास हुआ। अब मानव मृतक व्यक्ति को संस्कार के रूप मे दफनाने लगे।
  • मृतकों के साथ आवश्यक वस्तुएँ भी दफन कर देते थे। अतः उनके बीच यह धारणा रही होगी की मृत्यु के बाद भी जीवन है।

मध्यपाषाण काल की संस्कृतिक

  • भारत में चित्रकला का स्पष्ट साक्ष्य मध्यपाषाण काल से मिलते है।
  • दो प्रकार के चित्र बनाते थे-
    1. गुफा की दीवार या प्रस्तर को खुरचकर चित्र बनाते थे। इसे “पेट्रोग्लिफ” कहा जाता है।
    2. रंगों का उपयोग कर गुफा की चट्‌टानो पर चित्र बनाते थे। हमें मुख्यतः 16 रंगो का विवरण मिलता है।

चित्रकला के विषय:

  • शिकार के दृश्यों के चित्र
  • सामूहिक नृत्य एवं संगीत के चित्र
  • महिलाओं के द्वारा खाद्य संग्रह के चित्र
  • महिलाओं के द्वारा अपने शिशुओं को पालने का चित्र
  • कुदते हुए बंदर का चित्र

नवपाषाण काल [6000 ई.पू. के पश्चात]

नवपाषाण काल को नवपाषाण क्रांति भी कहा जाता है, क्योंकि इस काल मे मानव का जीवन बदल गया। 

नवपाषाण काल मे तकनीकी विकास

  • नवपाषाण काल में पॉलिशदार उपकरणो का प्रयोग होने लगा अर्थात पत्थर से पत्थर को घिसकर उपकरण बनाए जाने लगे जो अधिक चिकने होते थे। 
  • पॉलिशदार उपकरणों के प्रयोग से खेती करना आसान हो गया।

 

जीविकोपार्जन में परिवर्तन

  • इस काल में पशुपालन एवं कृषि का कार्य आरंभ हो गया। 
  • नियमित रूप से मृद‌भांडो का प्रयोग होने लगा।
  • अब मानव शिकारी एवं खाद्य संग्राहक से खाद्य उत्पादक की अवस्था में पहुँच गया।
  • मनुष्य को भोजन, कपड़े और अन्य वस्तुओं की उपलब्धि हुई।
  • इस काल मे मानव अपना स्थायी निवास बनाने लगे। 
  • इस काल में आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में महत्पूर्ण परिवर्तन हुए।

 

नवपाषाण काल मे सामाजिक दशा

  • नवपाषाण काल में मानव आवश्यकता से अधिक उत्पादन करने लगा, इसलिए समाज में विभाजन की प्रक्रिया शुरू हो गई।
  • समतामुलक सामाज (band society) अब मुखिया तंत्र (chiefdom) में बदल गया।

ताम्रपाषाण काल [3500 ई.पू. के पश्चात ]

अब मानव पह‌ली बार प्रथम धातु के रूप में तांबे का प्रयोग करने लगा, इसलिए इस काल को ताम्रपाषाण काल कहते है।

पत्थरों के उपकरण से तांबे के उपकरण अधिक बेहतर थे, इसलिए इस कल में कृषि का कार्य अधिक मजबूत हुआ।

ताम्रपाषाण काल मे सामाजिक दशा

  • इस काल में भी मुखियातंत्र सामाज देखने को मिलता है।
  • समुदाय की भावना मजबूत हो गई।
  • लोग उपहार के रूप में एक दूसरे को अनाज देने लगे।
  • इस काल में लोग रात्रि भोज का आयोजन करने लगे।

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating 4 / 5. Vote count: 6

No votes so far! Be the first to rate this post.

Share This Post

2 Responses

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

Search

Join Our Social Media