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Toggleसमाज की रूपरेखा– सभ्यता और संस्कृति से युक्त मनुष्यों के समूह को समाज कहते है। इसमें सभ्यता और संस्कृति दोनों ही तत्व समाज के द्वारा ही निर्माण किये गए है। समाज को व्यक्तियों का एक ऐसा समूह माना जाता है, जिनकी एक साझा संस्कृति होती है। इस समूह के व्यक्ति एक निश्चित क्षेत्र में रहते है और एक अलग संगठित इकाई के रूप में अपने आपको कुछ बन्धनों में बंधा जुआ महसूस करते है।
समाज अपने सदस्सयों के व्यवहारों को नियंत्रित करता है एवं नियमो के अनुसार व्यव्हार करने के लिए दबाव डालता है।
समाज की रूप रेखा
सामाजिक मान्यता एवं सामाजिक लक्ष्य क्या है?
समाज अपने संस्कृति के माध्यम से व्यक्ति के कर्त्याव्यो एवं कुछ लक्ष्यों को निर्धारित करता है। इसके साथ समाज के सभी सदस्ययों से यह उम्मीद करता है की उन कर्तव्यो का पालन करते हुए लक्ष्य को हासिल करे।
Social Norms (सामाजिक मान्यताये)
यह समाज के द्वारा बनाया गया एक व्यव्हार का तरीका है। जो सदियों से चला आ रहा है। जिसका पालन लोग इसलिए करते है, क्योकि ऐसा की होता आया है। इसका पालन करने के विरोध में लोग कोई तर्क या सवाल नहीं करते है।
सामाजिक मान्यताऔ के निम्न तत्व हो सकते है-
- प्रथा: इसके उलंघन पर समाज नाराज नही होता है।
- लोकनीति / जननीति: जसे- अपने से बड़ो का चरण स्पर्श करने से समाज उसको अच्छा मानता है।
- रूढ़ि: समाज दवाव बनता है
- आधुनिक: जैसे – कानून इत्यादि।
Social Value (सामाजिक मूल्य)
यह समाज के द्वारा बनाया हुआ एक ऐसा लक्ष्य होता है, जो समाज के लिए उपयोगी होता है। समाज अपने प्रत्येक सदस्य से या अपेक्षा करता है की वो इस लक्ष्य को हासिल करे। समाजीक मूल्य के कुछ उदाहरण – इमानदारी, अहिंसा, सच्चाई इत्यादि।
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