Caste-Politics Relation in India – भारत में जाति-राजनीति का सम्बन्ध

Caste-politics relation in India
Caste-politics relation in India- भारत में जाति राजनीति सम्बन्ध

भारत में जाती राजनीति संबंध (caste-politics relation in India) के प्रमुख आयाम-

  • जाति राजनीतिक संबंध का अर्थ
  • राजनीति में जाति
  • जाति में राजनीति
  • भारत में जाति-राजनीति संबंध के नकारात्मक पक्ष में या विपक्ष में तर्क
  • भारत में जाति-राजनीति संबंधों के लाभ या सकारात्मक पक्ष

जाति राजनीतिक संबंध का अर्थ

किसी लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक क्रियाकलाप जाति से प्रभावित होता है या फिर समाज के लोग जातीय आधार पर लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रक्रिया में हिस्सेदारी करते हैं, तो इसे जाति-राजनीति संबंध की संज्ञा दिया जाता हैं।

भारत में जाति-राजनीति के मध्य संबंधों (caste-politics relation) को दो भागों में बांटकर देखा जा सकता है।

  1. राजनीति में जाति
  2. जाति में राजनीति

राजनीति में जाति

राजनीति में जाति अर्थात राजनीतिक दलों द्वारा सत्ता प्राप्ति हेतु राजनीति में जाति का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण-

  1. विशिष्ट जाति के आधार पर राजनीतिक दलों का निर्माण किया जाता है।
  2. इसमें विशिष्ट जातियों को उनके हितो को पूरा करने का वादा किया जाता है।
  3. जातिय आधार पर टिकट का बंटवारा किया जाता है।
  4. चुनाव जीतने हेतु जातिय समीकरण का निर्माण किया जाता है।
  5. सरकार में जातिय आधार पर मंत्रियो को प्रतिनिधित्व किया जाता है।
  6. राजनीति में जातिवाद अर्थात सरकार द्वारा विशिष्ट जातियों को सरकारी लाभ प्राप्त करना।

जाति में राजनीति

जाति में राजनीति अर्थात जनता द्वारा सामाजिक एवं आर्थिक हितो की पूर्ति हेतु राजनीति में जाति का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण-

  1. आर्थिक एवं राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने हेतु दबाव समूह (Pressure group) के रूप में जातीय संगठनों का निर्माण किया जाता है। जैसे- जाट महासभा, गुरुजन पंचायत आदि।
  2. राजनीतिक एवं आर्थिक शक्ति प्राप्त करने हेतु जातीय संघो का निर्माण किया जाता है। जैसे- अखिल भारतीय महासभा, अखिल भारतीय यादव महासभा आदि।
  3. जनता द्वारा जातिय आधार पर राजनीति में सहभागिताएवं मतदान व्यवहार

भारत में जाति-राजनीति संबंध (caste-politics relation) के हानि के पक्ष में तर्क

  • राजनीति में तथा समाज में जातीय निष्ठा विकसित होती है जिससे जातिवाद को बढ़ावा मिलता है। फलस्वरूप आधुनिक समाज के निर्माण की प्रक्रिया को बाधित होती है।
  • राजनीति में जातिवाद से विकास की प्रक्रिया बाधित होती है।
  • विभिन्न जातियों के मध्य नकारात्मक प्रतिस्पर्धा से जातीय संघर्ष एवं तनाव में वृद्धि होती है। फलस्वरूप सामुदायिक सो सौहार्दता कमजोर होती है।
  • बहुसंख्यक एवं प्रभु जातियों द्वारा अल्पसंख्यक जातियों के हितों का हनन करके समतामूलक समाज के निर्माण की प्रक्रिया बाधित होती है।
  • राजनीति में गुटबंदी एवं राजनीति और स्थिरता फलस्वरूप लोकतंत्र कमजोर होता है।

भारत में जाति राजनीति संबंधों के सकारात्मक पक्ष

  • जातीय आधार पर राजनीतिक दलों के निर्माण द्वारा शक्ति संतुलन स्थापित करके लोकतंत्र का विकास हुआ है।
  • निरक्षर जातियों को राजनीतिक जागरूकता एवं राजनीतिक समाजीकरण द्वारा इन्हें राजनीतिक सहभागिता एवं मतदान व्यवहार को बढाकर लोकतंत्र को मजबूती मिली है।
  • राजनीतिक लाभ के लिए ही सही, निम्न जातियों का सशक्तिकरण करके समतामूलक समाज के निर्माण में सहायक सिद्ध हुआ है।
  • जाति, संघ एवं जाति संगठनों के निर्माण द्वारा दबाव समूह (Pressure group) के रूप में शक्ति का विकेंद्रीकरण करके लोकतंत्र के विकास में सहायक हुई है।
  • निम्न एवं कमजोर जातियों के द्वारा जातीय संगठनों के माध्यम से अपने हितों की पूर्ति और सामाजिक न्याय से युक्त भारतीय समाज का निर्माण में सहायक हुई है।

Caste-Politics Relation in India – भारत में जाति-राजनीति का सम्बन्ध: समीक्षा

निश्चित रूप से भारत में जाति राजनीतिक संबंधों ने दोनों तरह के परिणामों को उत्पन्न किया है, परंतु इसके नकारात्मक परिणाम कई संदर्भों में लोकतंत्र एवं सामाजिक न्याय के लक्ष्य को दुष्प्रभावित कर रहे हैं। परंतु, यह भी उल्लेखनीय है कि जाति प्रधान भारतीय समाज ने जाति-राजनीति संबंधों को पूर्णता समाप्त करना कठिन है। साथ ही भारतीय संविधान में भी जातीय आधार पर राजनीतिक दलों के निर्माण को असंवैधानिक नहीं माना गया है।

इसलिए, भारत में जाती राजनीति संबंधों को पूर्णता समाप्त करने का विचार न तो तर्क संगत है और न ही व्यवहार में संभव। हलाकि यह आवश्यक है कि जाति, राजनीति संबंधों के नकारात्मक पक्ष को समाप्त किया जाए तथा ऐसे संबंधों को स्वास्थ्य लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित करके इसके लाभों को प्राप्त किया जाए।

जाति को नकारात्मक संदर्भ में प्रयोग करने वाले दलों एवं व्यक्तियों को प्रतिबंधित करके शिक्षा के प्रसार द्वारा लोगों की सोच को तार्किक बनाकर और अधिक से अधिक नागरिक समाज का विकास (Development of Civil Society) करके जाति-राजनीति संबंधों के नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है।

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